अध्याय 15 श्लोक 7

अध्याय 15 श्लोक 7

मम, एव, अंशः, जीवलोके, जीवभूतः, सनातनः,
मनःषष्ठानि, इन्द्रियाणि, प्रकृतिस्थानि, कर्षति।।7।।

अनुवाद: (जीवलोके) मृतलोक में (सनातनः) आदि परमात्मा (अंशः) अंश (जीवभूतः) जीवात्मा (एव) ही (प्रकृतिस्थानि) प्रकृतिमें स्थित (मम) मेरे (मनः) काल का दूसरा स्वरूप मन है इस मन व (इन्द्रियाणि) पाँच इन्द्रियों (षष्ठानि) सहित इन छःओं द्वारा (कर्षति) आकर्षित करके सताई जाती है अर्थात् कृषित की जाती है। (7)