Chapter 7 Verse 30

Chapter 7 Verse 30

Saadhibhootaadhidaivam’, mam’, saadhiyagyam’, ch, ye, viduH,
Pryaankaale, api, ch, mam’, te, viduH, yuktchetasH ||30||

Translation: (Ye) the devotees who (mam’) me (ch) and (saadhibhootadhidaivam’) along with Adhibhoot, Adhidaiv (ch) and (saadhiyagyam’) along with Adhiyagya (viduH) correctly know (te) they (mam’) me (viduH) know (pryaankaale) at the time of death (api) even (yuktchetasH) have their mind engrossed i.e. being aware of the sufferings inflicted by me, keep their mind fixed in one Supreme God. (30)

Translation

Those devotees who correctly know me along with Adhibhoot, Adhidaiv and Adhiyagya, they know me, and have their mind engrossed even at the time of death i.e. being aware of the sufferings inflicted by me, keep their mind fixed in one Supreme God.

(End of Adhyay Seven)


साधिभूताधिदैवम्, माम्, साधियज्ञम्, च, ये, विदुः।
प्रयाणकाले,अपि,च,माम्,ते,विदुः,युक्तचेतसः।।30।।

अनुवाद: (ये) जो साधक (माम्) मुझे (च) तथा (साधिभूताधिदैवम्) अधिभूत अधिदैवके सहित (च) और (साधियज्ञम्) अधियज्ञ के सहित (विदुः) सही जानते हैं (ते) वे (माम्) मुझे (विदुः) जानते हैं (प्रयाणकाले) अंत काल में (अपि) भी (युक्तचेतसः) युक्तचितवाले हैं अर्थात् मेरे द्वारा दिए जा रहे कष्ट को जानते हुए एक पूर्ण परमात्मा मंे मन को स्थाई रखते हैं। (30)

केवल हिन्दी अनुवाद: जो साधक मुझे तथा अधिभूत अधिदैवके सहित और अधियज्ञ के सहित सही जानते हैं वे मुझे जानते हैं अंत काल में भी युक्तचितवाले हैं अर्थात् मेरे द्वारा दिए जा रहे कष्ट को जानते हुए उस एक पूर्ण परमात्मा मंे मन को स्थाई रखते हैं। (30)

(इति अध्याय सातवाँ)