Bhaktya, tu, ananyya, shakyaH, aham, evamvidhH, Arjun,
Gyaatum, drshtum, ch, tatven, prveshtum, ch, parantap ||54||
Translation: (Tu) but (parantap) Oh Parantap (Arjun) Arjun! (ananyya, bhaktya) by undivided devotion (evamvidhH) in this Chaturbhuj form (aham) I (drshtum) to be clearly seen (ch) and (tatven) in essence (gyaatum) to be known (ch) and (prveshtum) to properly enter in my Kaal’s web (shakyaH) possible. (54)
But Oh Parantap Arjun! By undivided devotion I can be clearly seen in this Chaturbhuj (four-armed) form and be known in essence and it is possible to properly enter my Kaal’s web.
भक्त्या, तु, अनन्यया, शक्यः, अहम्, एवंविधः, अर्जुन।
ज्ञातुम्, द्रष्टुम्, च, तत्त्वेन्, प्रवेष्टुम्, च, परन्तप।।54।।
अनुवाद: (तु) परंतु (परन्तप) हे परन्तप (अर्जुन) अर्जुन! (अनन्यया, भक्त्या) अनन्यभक्ति के द्वारा (एवंविधः) इस प्रकार चतुर्भुज रूप में (अहम्) मैं (द्रष्टुम्) प्रत्यक्ष देखनेके लिये (च) और (तत्त्वेन) तत्वसे (ज्ञातुम्) जाननेके लिये (च) तथा (प्रवेष्टुम्) मेरे काल-जाल में भली-भाँति प्रवेश करनेके लिए (शक्यः) शक्य हूँ अर्थात् शुलभ हूँ। (54)