Yaatyaamm’, gatarsam’, pooti, paryushitam’, ch, yat’,
Uchchhishtam’, api, ch, amedhyam’, bhojnm’, taamaspriyam’ ||10||
Translation: (Yat’) which (bhojnm’) food (yaatyaamm’) half-cooked (gatarsam’) tasteless (pooti) foul-smelling (paryushitam’) stale (ch) and (uchchhishtam’) is leftover / rejected (ch) and (amedhyam’) impure (api) is also, that food (taamaspriyam’) is dear to Tamas men. (10)
The food which is half-cooked, tasteless, foul-smelling, stale and is leftover and which is also impure is dear to the Tamas man. The revered deity of those who are dominated by Tamogun is Shiv, and they worship ghosts and spirits who are of a lower level. They like the above-mentioned food.
{In this Shlok 11 — After obtaining jaap of three mantras (in which one is Om’ naam and Tat’ - Sat’ are coded) from a Complete Saint according to the scriptures, one should perform five yagyas, that too without any desire for the result, otherwise, the result of a yagya done for fulfilment of a desire is not complete.}
यातयामम्, गतरसम्, पूति, पर्युषितम्, च, यत्,
उच्छिष्टम्, अपि, च अमेध्यम्, भोजनम्, तामसप्रियम्।।10।।
अनुवाद: (यत्) जो (भोजनम्) भोजन (यातयामम्) अधपका (गतरसम्) रसरहित (पूति) दुर्गन्धयुक्त (पर्युषितम्) बासी (च) और (उच्छिष्टम्) उच्छिष्ट है (च) तथा जो (अमेध्यम्) अपवित्रा (अपि) भी है वह भोजन (तामसप्रियम्) तामस पुरुषको प्रिय होता है। तमोगुण प्रधान व्यक्तियों का उपास्य देव शिव है तथा वे उनसे निम्न स्तर के भूत प्रेतों को पूजते हैं उनको आहार ऊपर लिखित पसंद होता है। (10)
केवल हिन्दी अनुवाद: जो भोजन अधपका रसरहित दुर्गन्धयुक्त बासी और उच्छिष्ट है तथा जो अपवित्रा भी है वह भोजन तामस पुरुषको प्रिय होता है। तमोगुण प्रधान व्यक्तियों का उपास्य देव शिव है तथा वे उनसे निम्न स्तर के भूत प्रेतों को पूजते हैं उनको आहार ऊपर लिखित पसंद होता है। (10) {इस श्लोक 11 में शास्त्रा विधि अनुसार पूर्ण संत से तीन मंत्रा का जाप (जिनमें एक ओ3म नाम है तथा तत् - सत् सांकेतिक हैं) प्राप्त करके पाँचों यज्ञादि भी प्रतिफल इच्छा न करके करनी चाहियें, अन्यथा इच्छा रूपी की गई यज्ञ का फल पूर्ण नहीं है।}