Shraddhya, parya, taptam’, tat’, trividham’, naraeH,
AflaakaankshibhiH, yuktae, Saattvikam’, parichakshte ||17||
Translation: (AflaakaankshibhiH) not desirous of rewards (yuktaeH) engrossed in bhakti according to the scriptural injunctions (naraeH) by men (parya) utmost (shraddhya) with faith (taptam’) practised (tat’) that above-mentioned (trividham’) of three types (tapH) austerity (saattvikam’) Satvik (parichakshte) are said to be. (17)
That above-mentioned austerity of three types, practiced with utmost faith by men engrossed in bhakti according to the scriptural injunctions who are not desirous of rewards, is said to be Satvik.
श्रद्धया, परया, तप्तम्, तपः, तत्, त्रिविधम्, नरैः,
अफलाकाङ्क्षिभिः, युक्तैः, सात्त्विकम्, परिचक्षते।।17।।
अनुवाद: (अफलाकाङ्क्षिभिः) फलको न चाहनेवाले (युक्तैः) शास्त्राविधि अनुसार भक्ति में लीन (नरैः) पुरुषोंद्वारा (परया) परम (श्रद्धया) श्रद्धासे (तप्तम्) तपे हुए (तत्) उस पूर्वोक्त (त्रिविधम्) तीन प्रकारके (तपः) तपको (सात्त्विकम्) सात्विक (परिचक्षते) कहते हैं। (17)
केवल हिन्दी अनुवाद: फलको न चाहनेवाले शास्त्राविधि अनुसार भक्ति में लीन पुरुषोंद्वारा परम श्रद्धासे तपे हुए उस पूर्वोक्त तीन प्रकारके तपको सात्विक कहते हैं। (17)