Chapter 8 Verse 17

Chapter 8 Verse 17

Sahastryugparyantm, ahH, yat, BrahmnH, viduH, raatrim,
Yugsahastraantaam, te, ahoraatrvidH, janaaH ||17||

Translation: (BrahmnH) ParBrahm’s (yat) that (ahH) one day (sahastryugparyantm) of duration of one thousand yugas and (raatrim) also the night (yugsahastraantaam) of duration of one thousand yugas (viduH) know in essence (te) those (janaaH) Tatvdarshi saints (ahoraatrvidH) know the truth about the day-night. (17)

Translation

Those who know in essence that ParBrahm’s one day is of duration of one thousand yugas and the night is also of duration of one thousand yugas, those Tatvdarshi saints know the truth about the day-night.

The Age of all the Gods

 (1) Age of Rajgun Brahma: - Brahma’s one day is of a thousand chaturyug[1], and the night is of the same duration. One month is of thirty days-nights; one year is of twelve months, and the age of Brahma is of a hundred years, which is of seven crores[2] twenty lakh[3] chaturyug.

(2) Age of Satgun Vishnu: - Shri Vishnu ji’s age is seven times the age of Shri Brahma ji i.e. the age of Shri Vishnu ji is fifty crore forty lakh chaturyug.

(3) Age of Tamgun Shiv: - Shri Shiv ji’s age is seven times the age of Shri Vishnu ji i.e. the age of Shri Shiv ji is three arab[4] fifty-two crore eighty lakh chaturyug.

(4) Age of Kaal Brahm i.e. Kshar Purush: - After the death of seven trilokiye Brahma (Kaal’s Rajgun son), one Trilokiye Vishnu ji dies, and after the death of seven trilokiye Vishnu (Kaal’s Satgun son), one trilokiye Shiv (Brahm/Kaal’s Tamogun son) dies. After the death of 70, 000 (seventy thousand i.e. 0.7 lakh) such trilokiye Shiv, there is death of one Brahmlokiye MahaShiv (SadaShiv i.e. Kaal). Equivalent to the age of one Brahmlokiye MahaShiv (three arab fifty-two crore eighty lakh chaturyug) is one yug of ParBrahm (Akshar Purush). One day of ParBrahm is of one thousand such yugas. After the completion of one day of ParBrahm, the twenty-one Brahmands of Kaal-Brahm get destroyed, and Kaal and Prakriti (Durga) die. After the completion of the night (which is of one thousand yugas) of ParBrahm, at the beginning of the day, Kaal and Durga are reborn. Then they start creation in one brahmand like before. In this way, one day of ParBrahm i.e. Akshar Purush is of one thousand yugas and the night is of the same duration.

(5) Age of Akshar Purush i.e. ParBrahm: - One yug of ParBrahm is of three arab fifty-two crore eighty lakh chaturyug. One day of ParBrahm is of one thousand yugas and the night is of the same duration. In this way, one day-night of ParBrahm are of two thousand yugas; one month is of 30 days; one year of twelve months, and the age of ParBrahm is of a thousand years. It has been from this that ParBrahm i.e. Akshar Purush is also mortal. Therefore, in Gita Adhyay 15 Shlok 16-17, and Adhyay 8 Shlok 20 to 22, there is mention of another Supreme/Complete God, who, in reality, is immortal.

Note: - The other translators of Gita ji have written one day of Brahma to be of one thousand chaturyug, which is not right because in the original Sanskrit, ‘sahansr’ (thousand) yug has been written, rather than chaturyug (four yugas); and ‘BrahmanH’ has been written and not Brahma. Because of absence of Tatvgyan (true spiritual knowledge), they have written incorrect meanings of words.


[1] Chaturyug = Chatur means Four and Yug means Age/era; Four Yugas (Satyug, Tretayug,   Dwaparyug, and Kaliyug)

[2]  1 Crore = Ten million; 10,000,000

[3]  1 Lakh = hundred thousand; 100,000

[4]  1 Arab = 100 Crore, 1000, 000,000


सहस्त्रायुगपर्यन्तम्, अहः,यत्,ब्रह्मणः, विदुः,रात्रिम्,
युगसहस्त्रान्ताम्, ते, अहोरात्राविदः, जनाः।।17।।

अनुवाद: (ब्रह्मणः) परब्रह्म का (यत्) जो (अहः) एक दिन है उसको (सहस्त्रायुगपर्यन्तम्) एक हजार युग की अवधिवाला और (रात्रिम्) रात्रिको भी (युगसहस्त्रान्ताम्) एक हजार युगतककी अवधिवाली (विदुः) तत्वसे जानते हैं (ते) वे (जनाः) तत्वदर्शी संत (अहोरात्राविदः) दिन-रात्राी के तत्वको जाननेवाले हैं। (17)

केवल हिन्दी अनुवाद: परब्रह्म का जो एक दिन है उसको एक हजार युग की अवधिवाला और रात्रिको भी एक हजार युगतककी अवधिवाली तत्वसे जानते हैं वे तत्वदर्शी संत दिन-रात्राी के तत्वको जाननेवाले हैं। (17)

विशेषः- सात त्रिलोकिय ब्रह्मा (काल के रजगुण पुत्र) की मृत्यु के बाद एक त्रिलोकिय विष्णु जी की मृत्यु होती है तथा सात त्रिलोकिय विष्णु (काल के सतगुण पुत्रा) की मृत्यु के बाद एक त्रिलोकिय शिव (ब्रह्म-काल के तमोगुण पुत्रा) की मृत्यु होती है। ऐसे 70000 (सतर हजार अर्थात् 0.7 लाख) त्रिलोकिय शिव की मृत्यु के उपरान्त एक ब्रह्मलोकिय महा शिव (सदाशिव अर्थात् काल) की मृत्यु होती है। एक ब्रह्मलोकिय महाशिव की आयु जितना एक युग परब्रह्म (अक्षर पुरूष) का हुआ। ऐसे एक हजार युग अर्थात् एक हजार ब्रह्मलोकिय शिव (ब्रह्मलोक में स्वयं काल ही महाशिव रूप में रहता है) की मृत्यु के बाद काल के इक्कीस ब्रह्मण्डों का विनाश हो जाता है। इसलिए यहाँ पर परब्रह्म के एक दिन जो एक हजार युग का होता है तथा इतनी ही रात्राी होती है। लिखा है।

‘‘सर्व प्रभुओं की आयु’’

(1) रजगुण ब्रह्मा की आयुः-ब्रह्मा का एक दिन एक हजार चतुर्युग का है तथा इतनी ही रात्राी है। (एक चतुर्युग में 43ए20ए000 मनुष्यों वाले वर्ष होते हैं) एक महिना तीस दिन रात का है, एक वर्ष बारह महिनों का है तथा सौ वर्ष की ब्रह्मा जी की आयु है। जो सात करोड़ बीस लाख चतुर्युग की है।

(2) सतगुण विष्णु की आयुः-श्री ब्रह्मा जी की आयु से सात गुणा अधिक श्री विष्णु जी की आयु है अर्थात् पचास करोड़ चालीस लाख चतुर्युग की श्री विष्णु जी की आयु है।

(3) तमगुण शिव की आयुः-श्री विष्णु जी की आयु से श्री शिव जी की आयु सात गुणा अधिक है अर्थात् तीन अरब बावन करोड़ अस्सी लाख चतुर्युग की श्री शिव की आयु है।

(4) काल ब्रह्म अर्थात् क्षर पुरूष की आयुः-सात त्रिलोकिय ब्रह्मा (काल के रजगुण पुत्रा) की मृत्यु के बाद एक त्रिलोकिय विष्णु जी की मृत्यु होती है तथा सात त्रिलोकिय विष्णु (काल के सतगुण पुत्रा) की मृत्यु के बाद एक त्रिलोकिय शिव (ब्रह्म/काल के तमोगुण पुत्रा) की मृत्यु होती है। ऐसे 70000 (सतर हजार अर्थात् 0ण्7 लाख) त्रिलोकिय शिव की मृत्यु के उपरान्त एक ब्रह्मलोकिय महा शिव (सदाशिव अर्थात् काल) की मृत्यु होती है। एक ब्रह्मलोकिय महाशिव की आयु जितना एक युग परब्रह्म (अक्षर पुरूष) का हुआ। ऐसे एक हजार युग का परब्रह्म का एक दिन होता है। परब्रह्म के एक दिन के समापन के पश्चात् काल ब्रह्म के इक्कीस ब्रह्मण्डों का विनाश हो जाता है तथा काल व प्रकृति देवी(दुर्गा) की मृत्यु होती है। परब्रह्म की रात्राी (जो एक हजार युग की होती है) के समाप्त होने पर दिन के प्रारम्भ में काल व दुर्गा का पुनर् जन्म होता है फिर ये एक ब्रह्मण्ड में पहले की भांति सृष्टि प्रारम्भ करते हैं। इस प्रकार परब्रह्म अर्थात् अक्षर पुरूष का एक दिन एक हजार युग का होता है तथा इतनी ही रात्राी है।

अक्षर पुरूष अर्थात् परब्रह्म की आयु:- परब्रह्म का एक युग ब्रह्मलोकीय शिव अर्थात् महाशिव (काल ब्रह्म) की आयु के समान होता है। परब्रह्म का एक दिन एक हजार युग का तथा इतनी ही रात्राी होती है। इस प्रकार परब्रह्म का एक दिन-रात दो हजार युग का हुआ। एक महिना 30 दिन का एक वर्ष 12 महिनों का तथा परब्रह्म की आयु सौ वर्ष की है। इस से सिद्ध है कि परब्रह्म अर्थात् अक्षर पुरूष भी नाश्वान है। इसलिए गीता अध्याय 15 श्लोक 16.17 तथा अध्याय 8 श्लोक 20 से 22 में किसी अन्य पूर्ण परमात्मा के विषय में कहा है जो वास्तव में अविनाशी है।

नोट:- गीता जी के अन्य अनुवाद कर्ताओं ने ब्रह्मा का एक दिन एक हजार चतुर्युग का लिखा है जो उचित नहीं है। क्योंकि मूल संस्कृत में सहंसर युग लिखा है न की चतुर्युग। तथा ब्रह्मणः लिखा है न कि ब्रह्मा। तत्वज्ञान के अभाव से अर्थों का अनर्थ किया है।