Chapter 8 Verse 18

Chapter 8 Verse 18

Avyaktaat, vyaktyaH, sarvaH, prbhavanti, ahraagme,
Raatryaagme, prleeyante, tatr, ev, avyaktsangyke ||18||

Translation: (SarvaH) whole (vyaktyaH) manifested world (ahraagme) at the beginning of the day of ParBrahm (avyaktaat) from the unmanifested i.e. invisible ParBrahm (prbhavanti) originate and (raatryaagme) at the arrival of night (tatr) that (avyaktsangyke) into invisible i.e. hidden ParBrahm (ev) same (prleeyante) merge. (18)

Translation

The whole manifested world originates from the unmanifested i.e. invisible ParBrahm at the beginning of the day and at the arrival of night, merges into that same invisible i.e. hidden ParBrahm.


अव्यक्तात्, व्यक्तयः, सर्वाः, प्रभवन्ति, अहरागमे,
रात्रयागमे, प्रलीयन्ते, तत्रा, एव, अव्यक्तसज्ञके।। 18।।

अनुवाद: (सर्वाः) सम्पूर्ण (व्यक्तयः) प्रत्यक्ष आकार में आया संसार (अहरागमे) परब्रह्म के दिनके प्रवेशकालमें (अव्यक्तात्) अव्यक्तसे अर्थात् अदृश परब्रह्म से (प्रभवन्ति) उत्पन्न होते हैं और (रात्रयागमे) रात्रि आने पर (तत्रा) उस (अव्यक्तसज्ञके) अदृश अर्थात् परोक्ष परब्रह्म में (एव) ही (प्रलीयन्ते) लीन हो जाते हैं। (18)

केवल हिन्द अनुवाद: सम्पूर्ण प्रत्यक्ष आकार में आया संसार परब्रह्म के दिन के प्रवेशकालमें अव्यक्तसे अर्थात् अदृश परब्रह्म से उत्पन्न होते हैं और रात्रि आने पर उस अदृश अर्थात् परोक्ष परब्रह्म में ही लीन हो जाते हैं। (18)