Aasureem, yonim, aapannaH, moodaH, janmni, janmni,
Mam, apraapya, ev, kauntey, tatH, yaanti, adhmaam, gatim ||20||
Translation: (Kauntey) Oh Arjun! (moodaH) those fools (mam) me (apraapya) not attaining (ev) only (janmni) birth (janmni) to birth (aasureem) demoniac (yonim) wombs (aapannaH) attain (tatH) than that (adhmaam) very low (gatim) state (yaanti) attain i.e. fall into deep hells. (20)
Oh Arjun! Those fools, instead of attaining me, attain the demoniac wombs from birth to birth, and then attain a further lower state than that i.e. fall into deep hells.
The description of aforesaid mantras 6 to 20 is also in Gita Adhyay 7 Shlok 12 to 15 and 20 to 23, and in Adhyay 9 Shlok Shlok 21 to 25.
आसुरीम्, योनिम्, आपन्नाः, मूढाः, जन्मनि, जन्मनि,
माम् अप्राप्य, एव, कौन्तेय, ततः, यान्ति, अधमाम्, गतिम्।।20।।
अनुवाद: (कौन्तेय) हे अर्जुन! (मूढाः) वे मुर्ख (माम्) मुझको (अप्राप्य) न प्राप्त होकर (एव) ही (जन्मनि) जन्म (जन्मनि) जन्ममें (आसुरीम्) आसुरी (योनिम्) योनिको (आपन्नाः) प्राप्त होते हैं फिर (ततः) उससे भी (अधमाम्) अति नीच (गतिम्) गतिको (यान्ति) प्राप्त होते हैं अर्थात् घोर नरकोंमें पड़ते हैं। (20)
विशेष:- उपरोक्त मंत्रा 6 से 20 तक का विवरण गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 तथा 20 से 23 तक तथा अध्याय 9 श्लोक 21 से 25 में भी है।