Chapter 7 Verse 19

Chapter 7 Verse 19

Bahoonaam’, janmnaam’, ante, gyaanvan’, mam’, prpadhyate,
VasudevH, sarvam’, iti, saH, mahatma, sudurlabhH ||19||

Translation: (Bahoonaam’) many (janmnaam’) births (ante) in the last birth (gyaanvaan’) he who has attained the true spiritual knowledge / Tatvgyan (mam’) me (prpadhyate) worships (vasudevH) Vasudev i.e. the Omnipresent Purna Brahm only (sarvam’) is everything (iti) thus, he who knows this (saH) that (mahatma) Mahatma (sudurlabhH) is extremely rare. (19)

Translation

In the last birth after many births, he who has attained Tatvgyan (the true spiritual knowledge) worships me. Vasudev i.e. the Omnipresent Purna Brahm only is everything, he who knows this, that Mahatma is extremely rare.

In Shrimad bhagwat Skand Tenth Adhyay 51, Shri Krishna has himself said that because of being the son of Vasudev, I am called Vasudev, nor due to being everyone’s master or omnipresent i.e. Supreme/Complete God is Vasudev. 

Meaning

The meaning of Gita Adhyay 7 Shlok 19 is that even my (Brahm’s) worship is done by a rare person after many births; otherwise, people keep worshipping other gods only, and that saint is extremely rare who tells that Purna Brahm only is everything; complete salvation is not attained from Brahm and ParBrahm.


बहूनाम्, जन्मनाम्, अन्ते, ज्ञानवान्, माम्, प्रपद्यते,
वासुदेवः, सर्वम्, इति, सः, महात्मा,सुदुर्लभः।।19।।

अनुवाद: (बहूनाम्) बहुत (जन्मनाम्) जन्मोंके (अन्ते) अन्तके जन्ममें (ज्ञानवान्) तत्वज्ञानको प्राप्त (माम्) मुझको (प्रपद्यते) भजता है (वासुदेवः) वासुदेव अर्थात् सर्वव्यापक पूर्ण ब्रह्म ही (सर्वम्) सब कुछ है (इति) इस प्रकार जो यह जानता है (सः) वह (महात्मा) महात्मा (सुदुर्लभः) अत्यन्त दुर्लभ है। (19) श्री मदभागवत् के दशवें स्कंद के 51 वें अध्याय में स्वयं श्री कृष्ण ने कहा है कि श्री वासुदेव का पुत्रा होने के कारण मुझे वासुदेव कहते हैं, न की सर्व का मालिक या सर्व व्यापक होने के कारण अर्थात् वासुदेव पूर्ण परमात्मा है।

केवल हिन्दी अनुवाद: बहुत जन्मोंके अन्तके जन्ममें तत्वज्ञानको प्राप्त मुझको भजता है वासुदेव अर्थात् सर्वव्यापक पूर्ण ब्रह्म ही सब कुछ है इस प्रकार जो यह जानता है वह महात्मा अत्यन्त दुर्लभ है। (19) श्री मदभागवत् के दशवें स्कंद के 51 वें अध्याय में स्वयं श्री कृष्ण ने कहा है कि श्री वासुदेव का पुत्रा होने के कारण मुझे वासुदेव कहते हैं, न की सर्व का मालिक या सर्व व्यापक होने के कारण, अर्थात् वासुदेव पूर्ण परमात्मा है।

भावार्थ - गीता अध्याय 7 श्लोक 19 का भावार्थ है कि मुझ ब्रह्म की साधना भी बहुत जन्मों के बाद कोई-कोई करता है, नहीं तो अन्य देवताओं की पूजा ही करते रहते हैं तथा यह बताने वाला संत बहुत दुर्लभ है कि पूर्ण ब्रह्म ही सब कुछ है, ब्रह्म व परब्रह्म से पूर्ण मोक्ष नहीं होता।