Chapter 4 Verse 13

Chapter 4 Verse 13

Chaaturvarnyam, mya, srshtm, gunkarmvibhaagashH,
Tasya, kartaaram, api, mam, viddhi, akartaaram, avyyam ||13||

Translation: (Chaaturvarnyam) the group of the four varnas/castes, Brahmin, Kshatriya, Vaishya, and Shoodr (gunkarm vibhaagashH) based on the division of qualities and actions (mya) by me (srshtm) has been formed; thus (tasya) of that action (kartaaram) doer (api) also (mam) me, Kaal only (viddhi) consider and (avyyam) that eternal God (akartaaram) is a non-doer. (13)

Translation

The group of the four varnas/castes, Brahmin, Kshatriya, Vaishya, and Shoodr, has been formed by me based on the division of qualities and actions. Thus consider me, Kaal, only to be the doer of that action. That eternal God is a non-doer.

Meaning

In Gita Adhyay 3 Shlok 14-15, the giver of the knowledge of Gita has said that consider the actions to have arisen from Brahm i.e. Brahmoddhvam. This same evidence is in this Adhyay 4 Shlok 13. The giver of the knowledge of Gita, Kaal Brahm, is saying that I have made the arrangement of the four Varnas / castes. I only have divided their actions. That Eternal Supreme God is a non-doer of these actions; Kaal Brahm only has formed the divisions of Brahma Rajgun, Vishnu Satgun and Shiv Tamgun – creation, preservation, destruction. The Eternal God is not the doer of this.


चातुर्वण्र्यम्, मया, सृष्टम्, गुणकर्मविभागशः,
तस्य, कर्तारम्, अपि, माम्, विद्धि, अकर्तारम्, अव्ययम्।।13।।

अनुवाद: (चातुर्वण्र्यम्) ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र इन चारों वर्णों का समूह (गुणकर्म विभागशः) गुण और कर्मोंके विभागपूर्वक (मया) मेरे द्वारा (सृष्टम्) रचा गया है इस प्रकार (तस्य) उस कर्म का (कर्तारम्) कत्र्ता (अपि) भी (माम्) मुझ काल को ही (विद्धि) जान तथा (अव्ययम्) वह अविनाशी परमेश्वर (अकर्तारम्) अकत्र्ता है।

भावार्थः- गीता अध्याय 3 श्लोक 14-15 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि कर्मों को ब्रह्मोद्धवम अर्थात् ब्रह्म से उत्पन्न जान। यही प्रमाण इस अध्याय 4 श्लोक 13 में है। गीता ज्ञान दाता काल ब्रह्म कह रहा है कि चार वर्णों की व्यवस्था मैंने की है। इनके कर्मों का विभाजन भी मैंने किया है। वह अविनाशी पूर्ण परमात्मा इन कर्मों का अकर्ता है, ब्रह्मा रजगुण, विष्णु सतगुण तथा शिव तमगुण के विभाग भी काल ब्रह्म ने बनाए हैं सृृष्टि, स्थिती, संहार। इनका करने वाला अविनाशी परमात्मा नहीं है। (13)