KarshyantH, shareerasthm’, bhootgraamm’, achetasH, mam’,
Ch, ev, antHshareerasthm’, taan’, viddhi, aasurnishchyaan’ ||6||
Translation: (Shareerasthm’) dwelling in the body (bhootgraamm’) chiefs of the living beings – Brahma, Vishnu, Shiv and Ganesh and Prakriti and (mam’) me (ch) and (antHshareerasthm’) the Purna Parmatma dwelling with the living being in the heart lotus of the body (karshyantH) who torture (taan’) them (achetasH) ignorants (aasurnishchayaan’) of demoniac nature (ev) only (viddhi) know. (6)
The ignorants, who torture the chiefs of the living beings – Brahma, Vishnu , Shiv, Ganesh, Prakriti and me dwelling in the body and the Purna Parmatma dwelling with the living being in the heart lotus of the body, know them to be of demoniac nature only.
कर्शयन्तः, शरीरस्थम्, भूतग्रामम्, अचेतसः, माम्,
च, एव, अन्तःशरीरस्थम्, तान्, विद्धि, आसुरनिश्चयान्।।6।।
अनुवाद: (शरीरस्थम्) शरीर में रहने वाले (भूतग्रामम्) प्राणियों के मुखिया - ब्रह्मा, विष्णु, शिव तथा गणेश व प्रकृति को व (माम्) मुझे (च) तथा (एव)इसी प्रकार (अन्तःशरीरस्थम्) शरीर के हृदय कमल में जीव के साथ रहने वाले पूर्ण परमात्मा को (कर्शयन्तः) परेशान करने वाले (तान्) उनको (अचेतसः) अज्ञानियोंको (आसुरनिश्चयान्) राक्षसस्वभाववाले (एव) ही (विद्धि) जान। गीता अध्याय 13 श्लोक 17 तथा अध्याय 18 श्लोक 61 में कहा है कि पूर्ण परमात्मा विशेष रूप से सर्व प्राणियों के हृदय में स्थित है। (6)
केवल हिन्दी अनुवाद: शरीर में रहने वाले प्राणियों के मुखिया - ब्रह्मा, विष्णु, शिव तथा गणेश व प्रकृृति को व मुझे तथा इसी प्रकार शरीर के हृदय कमल में जीव के साथ रहने वाले पूर्ण परमात्मा को परेशान करने वाले उनको अज्ञानियोंको राक्षसस्वभाववाले ही जान। गीता अध्याय 13 श्लोक 17 तथा अध्याय 18 श्लोक 61 में कहा है कि पूर्ण परमात्मा विशेष रूप से सर्व प्राणियों के हृदय में स्थित है। (6)